Thursday, May 18, 2017

जिंदा हूँ, काफी हैं|

बहुत गहराई से सोचा मैंने, तुम्हारे बारे में | मेरे पागलपन को जो भी सुनेगा, वो उसे मोहब्बत का ही नाम देगा| लेकिन मैं तो हमेशा से यही सोचता था, कि मेरी तुमसे शादी होगी. और चार बच्चे होगे| लेकिन ये सब महज मेरी कोरी कल्पना ही थी. अपनी जिंदगी का आखिरी लम्हा भी मैंने तुम्हारे साथ तुम्हारा हाथ पकड़ कर जीने की सोची थी, और उसी हाथ को पकडे आखिरी साँस भी लेने का मेरा ख्वाब था. बस इतनी सी थी मेरी जिंदगी. और यही ख्वाब मैं हर देखा करता था.
                           कल मैं बाहुबली मूवी देख रहा था. लोगो के लिए films महज मनोरंजन होती होगी. मैं तो हर फिल्म से कुछ न कुछ सीखता हूँ, जिसे मैं अपनी जिंदगी में उतार सकू| और ३ घंटे के बाद मैं कुछ अच्छा तो सीख ही लेता हूँ.
                                                                कल वैसा ही एक बड़ा दिन था. और एक अच्छी सीख मिली. कि भले ही मुझे तुमसे प्यार हो. लेकिन तुम्हारे साथ मैं शायद वो खुशी न पा सकू, जो मैं अपने जीवनसाथी में चाहता हूँ. तुम आज कल के लोगो वाला प्यार चाहती होगी. जो selfie और पैसे से शुरू होकर या तो तलाक तक पहुँच जाता हैं. या फिर रिश्ता सिर्फ नाम का ही रह जाता हैं. तुम कभी सिद्दत से प्यार कर ही नहीं सकती हो. और न समझ सकती हो. लेकिन मैं सोचता हूँ. कि ये एहसास मैं तुम्हे कराऊं |
       तुम्हे पैसा चाहिए, और मुझे गुण | पैसा तो कभी भी कितना भी कमाया जा सकता हैं. लेकिन गुण नहीं. तुम्हारे अंदर मुझे वो गुण नज़र नहीं आता हैं. तुम सिद्दत को कभी समझ ही नही पाओगी, क्यूँ कि तुम्हारे अंदर लालच हैं, त्याग नहीं| मुझे इन गुणों वाला इंसान चाहिए. भले ही इन गुणों के ऊपर की काया तुम्हारी न हो. किसी और की हो.
                                      
  और क्या करूँगा, मैं तुम्हारे जिस्म का. तुम्हारे शरीर के उस छोटे से छेद का. जिसके पीछे दुनिया पागल हैं. मेरा मन उस छेद के चंद पल के सुख को भोगने का मोहताज नहीं हैं. और नहीं चाहिए तुम्हारा जिस्म| जो साल दर साल बूढा होता चला जायेगा. शरीर का मांस लटकता जायेगा |
                अगर तुम्हारे अंदर थोडा भी त्याग या ऐसा कोई गुण होता हैं. तो मैं आजीवन भूखा रहता. तुम्हारे उन गुणों का. मैं अपनी भूख को कभी शांत ही नहीं होने देता.
इसलिए तुम जैसे शख्स के साथ जीवन बिताने से अच्छा हैं,कि मैं जीवन भर अकेला ही रहू. मैं उस शख्स के साथ जीना चाहता हूँ.

          “जिस पर मुझे अभिमान हो और जो मेरा अभिमान बन सके”.

मैं उस कमज़ोर शख्स के साथ नहीं जी सकता, जिसका व्यकतित्व उपहारों का मोहताज हो. नहीं चाहिए ऐसा जीवन और ऐसे लोग. मुबारक हो तुम्हें तुम्हारा ये जीवन|

                                                              मुझे पता हैं, कि जिस दिन मेरा मूड होगा. मैं ये सारे शब्द तुम्हे पढ़ने के लिए मजबूर कर दूंगा| लेकिन शायद अभी वो वक्त नहीं आया हैं.

और अब मैंने आज़ाद कर दिया हैं,अपने आप को | तुम्हे खोने या पाने के विचारों से. कभी तुम मेरी जिद थी. तब तुम क्या ,मैं खुद भी नहीं रोक पाता था. अपने आप को , तुम्हारा नाम सुनकर |
                 लेकिन अब वो जिद मर गयी हैं|




note:- शीर्षक बस यूँ ही हैं. कुछ न मिला तो ये ही सही|